बुलंदशहर, डेस्क (जय यात्रा): बुलंदशहर की एडीजे 12 न्यायमूर्ति गोपाल ने बुलंदशहर के स्याना हिंसा मामले में शुक्रवार को अदालत ने पांच दोषियों को उम्र कैद और 33 को 7 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। इससे पहले बुधवार को पांच आरोपियों को तत्कालीन थाना प्रभारी सुभाष सिंह की हत्या का दोषी माना जबकि अन्य 33 आरोपियों को बलवा और धारा 307 जैसे गंभीर आरोपों में दोषी ठहराया। अदालत ने सभी को न्यायिक अभिरक्षा में भेज था और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। एडीजे 12 की अदालत 1 अगस्त को सभी दोषियों के खिलाफ सजा का ऐलान किया। बताते चलें कि पुलिस ने हिंसा फैलाने के मामले में उस दौरान 27 लोगों को नामजद करने के साथ हिंसा फैलाने के आरोप में 60 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। हालांकि पुलिस की चार्जशीट में इस मामले में 44 लोग ही की आरोपी मिले। बाकी 16 लोगों के खिलाफ सबूत नहीं मिले जिसके चलते उनके नाम केस से हटा दिए गए। पांच आरोपियों की मुकदमे के दौरान मौत हो चुकी है जबकि एक बाल अपचारी को छोड़कर सभी आरोपियों को दोषी माना गया है। पांच आरोपी: प्रशांत नट, जॉनी, राहुल, डेविड और लोकेंद्र को सुबोध सिंह की हत्या का दोषी माना गया है। इन पांचों ने थाने के प्रभारी को मौत के घाट उतारा था जबकि अन्य 33 आरोपियों को बलवा और हत्या की कोशिश यानी 307 में दोषी करार दिया है। अदालत ने जॉनी, लोकेंद्र, प्रशांत नट, राहुल और डेविड को आजीवन कारावास और 20-20 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया जबकि 33 दोषियों पर 7 वर्ष के कारावास और सात-सात हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है।
यह है मामला:
मामला 3 दिसंबर 2018 का है जब बुलंदशहर जनपद के थाना स्याना कोतवाली क्षेत्र के गांव महाव में गोवंश के अवशेष मिले थे जिसकी सूचना पर हिंदूवादी संगठनों और आसपास के ग्रामीण बड़ी संख्या में क्षेत्र हुए उन्होंने गोकशी का विरोध किया। आरोप है कि वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य योगेश राज ने उस दौरान अपने साथियों के साथ मिलकर लोगों को इकट्ठा किया और उन्हें भड़काया। भीड़ ट्रैक्टर ट्राली में गोवंश के अवशेषों को भरकर बुलंदशहर हाईवे स्थित चिंगरावठी पुलिस चौकी पर पहुंच गई जहां उसने चक्का जाम कर दिया। पुलिस ने लोगों को रोकने का प्रयास किया तो भीड़ ने पुलिस पर भी पथराव कर दिया। इस दौरान लोगों में गुस्सा इतना बढ़ गया कि उन्होंने चौकी भी फूंक दी। हिंसा के दौरान तत्कालीन थाना प्रभारी सुबोध कुमार शहीद हो गए थे। चिंगरावठी के रहने वाले युवक सुमित की भी गोली मार कर हत्या की गई थी। पुलिस ने गोकशी के मामले में 10 आरोपियों पर मुकदमा दर्ज किया था। इसके बाद मामला शांत हुआ। फिर पुलिस ने हिंसा की जांच शुरू की। पुलिस ने मामले में मुकदमा दर्ज किया और मुख्य आरोपी योगेश राज को बनाया। इसके बाद 27 लोगों को नामजद करने के साथ हिंसा फैलाने के आरोप में 60 के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। हालांकि 16 लोगों के नाम केस से हटा दिए गए। एक बाल अपचारी को छोड़कर 33 आरोपी बलवा व हत्या की कोशिश तथा पांच आरोपी हत्या के दोषी ठहराए गए हैं। मामले में अदालत ने फैसला सुना दिया है।
खुर्जा हिंसा मामले में पांच दोषियों को तीन-तीन वर्ष व 33 को सात-सात वर्ष की सजा, इंस्पेक्टर समेत तीन की हुई थी मौत
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