बुलंदशहर, डेस्क (जय यात्रा): बुलंदशहर व मुजफ्फरनगर जिले के रहने वाले एक-एक कांस्टेबलों ने फर्जी आदेश लेकर जेल से दो कैदियों बिजेंदर और वंश को छुड़ाने की कोशिश की। कांस्टेबलों पर संदेह होने पर पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया तथा बीएस की धारा 260 और 120-बी के तहत रिपोर्ट दर्ज की है और गिरफ्तार कर लिया है।
आपको बता दें कि मुजफ्फरनगर जिले के 2015 बेंच के 31 वर्षीय कांस्टेबल राहुल और बुलंदशहर जिले के 2016 बेंच के 28 वर्षीय कांस्टेबल सचिन शनिवार को फर्जी आदेश जारी कर एक निजी वाहन से डासना जेल पहुंचे और दो कैदियों की हिरासत की मांग की। गौतमबुद्धनगर अदालत के आदेश की एक प्रति थी जिसमें उसे दिन पेश किए जाने वाले छह कैदियों का जिक्र था, लेकिन दोनों कांस्टेबल सिर्फ दो कैदियों को ले जाने के बाद पर अड़े रहे। इस दौरान जेल अधिकारियों को दोनों कांस्टेबलों पर शक हुआ। गाजियाबाद पुलिस लाइन से सत्यापन करने पर पता चला कि उसे दिन किसी कैदी की पेशी निर्धारित नहीं थी और किसी भी पुलिसकर्मी को आधिकारिक तौर पर डासना जेल नहीं भेजा गया था। एसीपी ने बताया कि कविनगर पुलिस ने दोनों कांस्टेबलों को गिरफ्तार कर लिया। सूर्यबली मौर्य ने बताया कि कांस्टेबल को जाली आदेश कैसे प्राप्त हुए इसकी जांच जारी है।
यह है मामला:
फर्जी डिग्री के मामले में गाजियाबाद की डासना जेल में बंद विजेंद्र हुड्डा की पुलिसकर्मियों से कितनी नजदीकी है, इसका पता शनिवार को तब चला जब दो पुलिसकर्मी फर्जी आदेश लेकर डासना जेल पहुंचे और विजेंद्र हुड्डा के साथ-साथ एक अन्य कैदी को ले जाने पर पड़े रहे। हालांकि मामले का पर्दाफाश होने पर दोनों कांस्टेबलों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। अब सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर कांस्टेबलों ने विजेंद्र हुड्डा समेत दो कैदियों को भगाने के लिए फर्जी आदेश कहां से प्राप्त किया। इसकी जांच जारी है… यह भी बात सामने आ रही है कि दोनों पुलिसकर्मियों ने कैदियों को भगाने में उनसे पैसे लिए थे?
जनपद हापुड़ के पिलखुवा के अनवरपुर में स्थित मोनाड विश्वविद्यालय के मालिक विजेंद्र हुड्डा समेत कई को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था जिन्हें फर्जी डिग्रियों, मार्कशीट, प्रपत्र के मामले में जेल भेजा था। विजेंद्र हुड्डा बाहर आने के लिए झटपटा रहा है। फर्जीवाड़ी का मास्टरमाइंड विजेंद्र हुड्डा इन दिनों जेल में बेहद परेशान है जो एक बड़े साम्राज्य का मालिक है। विजेंद्र हुड्डा बाइक बोट घोटाले से चर्चाओं में आया। विजेंद्र हुड्डा फिलहाल गाजियाबाद की डासना जेल में बंद है।
हद तो तब हो गई जब गाजियाबाद पुलिस लाइन में तैनात मुजफ्फरनगर के 2015 बैच का 31 वर्षीय कांस्टेबल राहुल और 2016 बैच का बुलंदशहर का 28 वर्षीय कांस्टेबल सचिन फर्जी आदेश लेकर विजेंद्र हुड्डा और एक अन्य कैदी वंश को छुड़ाने की कोशिश के लिए पहुंचे। दोनों ही कैदी जालसाजी, डकैती और हत्या के प्रयासों आदि मामलों में जेल में बंद है। प्रारंभिक जांच में पता चला कि दोनों कांस्टेबलों के पास कैदियों के ट्रांसफर के लिए कोई आधिकारिक आदेश नहीं था। वह शनिवार को जेल पहुंचे और दोनों कैदियों की हिरासत की मांग की। अदालत के आदेश की एक प्रति थी जिसमें उस दिन पेश किए जाने वाले छह कैदियों का जिक्र था। हालांकि आरोपी कांस्टेबल केवल दो कैदियों को ले जाने पर अड़े रहे जिससे जेल अधिकारियों का संदेह बढ़ गया। गाजियाबाद पुलिस लाइन से सत्यापन करने पर पता चला कि उस दिन किसी कैदी की पेशी निर्धारित नहीं थी और किसी भी पुलिसकर्मी को आधिकारिक तौर पर डासना जेल नहीं भेजा गया था। बाद में कवि नगर पुलिस ने जांच के आधार पर दोनों कांस्टेबलों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया। विभाग यह पता लग रहा है कि आखिर जाली आदेश कैसे प्राप्त हुए?
उत्तर प्रदेश पुलिस में तैनात बुलंदशहर निवासी कांस्टेबल सचिन गिरफ्तार, फर्जी आदेश से कैदियों को भगाने के प्रयास का आरोप
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