बुलंदशहर, डेस्क (जय यात्रा): पूर्वजों को समर्पित महालया पितृ पक्ष के अंतिम दिन आज 21 सितंबर रविवार पितृ अमावस्या को पूरे दिन (सूर्यास्त तक) पितरों का श्राद्ध -तर्पण दान आदि पितृकर्म होंगे आज भूलवश या तिथि पर छूटे हुए पितरों के श्राद्ध के साथ सभी ज्ञात -अज्ञात मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों का भी श्राद्ध किया जाएगा जिससे संतुष्ट हुए पितृगण आशीर्वाद प्रदान कर अपने-अपने स्थान गमन करेंगे। भारतीय ज्योतिष कर्मकांड महासभा अध्यक्ष ज्योतिर्विद पंडित के0 सी0 पाण्डेय काशी वाले ने बताया कि सनातन संस्कृति में अत्यंत पवित्र पितृ अमावस्या 20 सितंबर की मध्य रात्रि 12.17 से प्रारम्भ होकर आज 21 सितंबर की देर रात्रि 1.23 बजे तक रहेगा। सुबह 9.32 बजे से सर्वार्सिद्धि योग व शुभ योग का संयोग होने से और अधिक शुभफल प्राप्त होगा। श्राद्ध हमेशा किसी नदी के किनारे, मंदिर के पास, बगीचा, गौशाला आदि स्थानों पर करना चाहिए श्राद्ध हमेशा सार्वजनिक पवित्र स्थान पर ही करना चाहिए। किसी अन्य की जमीन अथवा स्थान पर श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए। पौराणिक मान्यतानुसार हापुड़ के गढ़ गंगा में भगवान श्री कृष्ण के परामर्श पर पांडवों ने अपने पूर्वजों का श्राद्ध किया था जिससे उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ। इसलिए आज के दिन श्राद्ध के लिए गढ़ के गंगा तट पर बहुत भीड़ रहती है। पंडित के0 सी0 पाण्डेय ने 21 सितंबर को लगने वाले सूर्यग्रहण के संशय को दूर करते हुए बताया कि आज रात्रि 10.59 बजे से देर रात्रि 3.23 तक सूर्य ग्रहण लगेगा जो भारत में दृश्य नहीं होगा। सूतक काल भी लागू नहीं होगा। मंदिरों के पट नियमित नियम अनुसार खुले रहेंगे। आप सभी भ्रम और अफवाह से बचें। सूतक ना होने से दिनभर सर्व पितृ अमावस्या का श्राद्ध व तर्पण आदि धार्मिक क्रिया कर्म भी बिना किसी संशय के करें। आप सभी पितरों का श्राद्ध, पिंडदान आदि कर्म करने के बाद ब्राह्मण भोज और दान आदि की प्रक्रिया पूर्ण श्रद्धा से कर पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करे। सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध करने से प्रसन्न होकर पितर धन, विद्या, संतान, प्रतिष्ठा, स्वास्थ्य, शान्ति व सफलता का आशीर्वाद प्रदान करते है। ध्यान रहे श्राद्ध सायंकाल के बाद नहीं करना चाहिए पितृ अमावस्या के दिन गंगा नदी के साथ साथ हरिद्वार व कुरुक्षेत्र में स्नान करने व तर्पण दान करने से भी पितृदोष में लाभ होगा। गया श्राद्ध का विशेष महत्त्व है। आज का सूर्य ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिज़ी, अंटार्कटिका, मलेशिया आदि में दिखाई देगा। अतः वहां पूर्ण प्रभाव भी रहेगा व सूतक भी मान्य होगा। ग्रहणकाल के समय अपने इष्ट का ध्यान, राहु, सूर्यादि ग्रहों के मंत्रो का जप करना चाहिए, राहु, केतु शनि आदि ग्रहों की शान्ति के साथ किसी भी साधना व सिद्धि के लिए ग्रहण व पितृ अमावस्या का दिन उत्तम है।
पितृ अमावस्या पर आज सूर्यास्त तक होगा पितरों का श्राद्ध, तर्पण दान
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